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Tuesday, 21 July 2020

Pray For Assam असम मे बाढ़ से मची तबाही, 33 में से 30 जिलों में बाढ़ का कहर 4766 गांव बाढ़ से बुरी तरह है प्रभावित।



चाय बागानों की खुशबू से महकने वाला असम इस साल भी पानी में डूब रहा है। यहां के 33 में से 30 जिले बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। गृह मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, 22 मई से लेकर 15 जुलाई के बीच यहां के 4 हजार 766 गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। 

48.07 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। 1.28 लाख से ज्यादा लोग अपना घर छोड़कर रिलीफ कैम्प में रहने को मजबूर हैं। जबकि, 92 लोगों की जान भी जा चुकी है। 

असम को हर साल बाढ़ से जूझना ही पड़ता है। आंकड़ों की मानें तो पहले हर 3-4 साल मे बाढ़ आते थे। लेकिन, पिछले कुछ सालों से बाढ़ हर साल आने लगी है। 

असम में हर साल बाढ़ क्यों आती है? इसे समझने के लिए पहले यहां की जियोग्राफी समझना जरूरी है।

असम देश का ऐसा राज्य है जो पूरी तरह से नदी घाटी पर ही बसा हुआ है। इसका कुल एरिया 78 हजार 438 वर्ग किमी का है। जिसमें से 56 हजार 194 वर्ग किमी ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी में है। और बाकी का बचा 22 हजार 244 वर्ग किमी का हिस्सा बराक नदी की घाटी में है।

इतना ही नहीं राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के मुताबिक, असम का कुल 31 हजार 500 वर्ग किमी का हिस्सा बाढ़ प्रभावित है। यानी, असम का जितना एरिया है, उसका करीब 40% हिस्सा बाढ़ प्रभावित है। जबकि, देशभर का 10.2% हिस्सा बाढ़ प्रभावित है। 

ब्रह्मपुत्र नदी का कवर एरिया बढ़ रहा है, जिससे खेती की जमीन बाढ़ से बर्बाद हो रही है :

असम में ब्रह्मपुत्र और बराक, दो प्रमुख नदियां हैं। इन दो के अलावा इनकी 48 सहायक नदियां और कई छोटी-छोटी नदियां हैं। इस वजह से यहां बाढ़ का खतरा ज्यादा है। अकेली ब्रह्मपुत्र नदी का कवर एरिया भी लगातार बढ़ रहा है। असम मे 1912 से 1928 के बीच सर्वे हुआ था, तब ब्रह्मपुत्र नदी राज्य के 3 हजार 870 वर्ग किमी के एरिया को कवर कर रही थी, लेकिन 2006 में जब सर्वे हुआ, तो ब्रह्मपुत्र नदी का कवर एरिया बढ़कर 6 हजार 80 वर्ग किमी हो गया।

असम सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की सितंबर 2015 में एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 1954 से लेकर 2015 के बीच बाढ़ की वजह से असम में 3 हजार 800 वर्ग किमी की खेती की जमीन बर्बाद हो गई। मतलब 61 साल में बाढ़ के कारण असम में जितनी खेती की जमीन बर्बाद हुई है, वो गोवा के एरिया से भी ज्यादा है। गोवा का एरिया 3 हजार 702 वर्ग किमी है।

खेती की जमीन का नुकसान होना सीधा-सीधा यहां के लोगों की रोजी-रोटी पर भी असर डालता है। सरकार के आंकड़े बताते हैं कि राज्य की 75% से ज्यादा की आबादी खेती-किसानी या खेती-मजदूरी पर निर्भर है। 

न सिर्फ खेती की जमीन बल्कि बाढ़ की वजह से लोगों को अपने घर तक छोड़ने पड़ रहे हैं। 2010 से 2015 के बीच 880 गांव पूरी तबाह हो गये थे, । इन 5 सालों के दौरान 36 हजार 981 परिवारों के घर भी तबाह हो चुके है।

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