स्थानीय निवासियों की भागीदारी और रोजगार सुनिश्चित होगी।
भवन निर्माण विभाग में 25 करोड़ रुपए तक के कार्य अब सिर्फ स्थानीय ठेकेदार ही कर सकेंगे। विभाग के इस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मुहर लगा दी है। राज्य मंत्रिपरिषद की स्वीकृति मिलते ही इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया जाएगा। जानकारों की मानें तो यह नई व्यवस्था लागू करने वाला झारखंड देश का पहला राज्य होगा।
सीएम ने कहा है कि निर्माण कार्य के लिए निकलेवाले टेंडर में स्थानीय निवासियों की भागीदारी सुनिश्चित करना और उन्हें रोजगार का उचित अवसर देने ही इस नई व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य है। इससे स्थानीय लोगों का सामाजिक-आर्थिक उत्थान हो सकेगा। राज्य सरकार न सिर्फ सरकारी नौकरियों, बल्कि अन्य योजनाओं में भी रोजगार सृजन के लिए प्रयत्नशील है।
ये शर्तें का होना जरुरी :
डीसी-एसडीओ या सक्षम प्राधिकार से निर्गत स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र और जाति प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होगा। पार्टनरशिप फर्म या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी होने की स्थिति में उसका निबंधित कार्यालय झारखंड में होना चाहिए। ज्वाइंट वेंचर में लीड पार्टनर का स्थायी पता झारखंड होना चाहिए। लाभ लेने के लिए संवेदकों को अपने निबंधन प्रमाण पत्र में पता बदलने की अनुमति नहीं होगी।
टेंडर में प्राथमिकता ऐेसे होगी निर्धारित :
किसी टेंडर में दो या दो से अधिक स्थानीय आवेदकों की दर समान हो तो क्रमशः एसटी, एससी, ओबीसी-वन, ओबीसी- टू और सामान्य कोटि के क्रम में प्राथमिकता दी जाएगी। यदि इस क्रम में भी टेंडर राशि समान है तो स्थानीय जिलास्तरीय निबंधित आवेदकाें को प्राथमिकता मिलेगी। ये नहीं मिले तो राज्यस्तरीय आवेदकों को प्राथमिकता मिलेगी।
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