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Wednesday, 15 July 2020

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा - DVC बार बार बिजली कटौती की धमकी न दे

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा -
 DVC बार बार बिजली कटौती की धमकी न दे



जमीन हमारा ,  पानी हमारा,  कोयला हमारा और  हमारे ही उपभोक्ताओं को बिजली नहीं

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय विद्युत मंत्री राजकुमार सिंह के समक्ष डीवीसी को चेताया कि वह संयम में रहे। बार-बार बिजली कटौती की धमक न दे। उन्होंने सिंह से भी इस मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया और कहा कि जमीन हमारा, पानी और कोयला हमारा और हमारे ही उपभोक्ताओं को बिजली नहीं। सिंह ने सीएम को आश्वस्त किया कि वह डीवीसी के अधिकारियों के साथ बैठक कर इस समस्या का समाधान करायेंगे। आप उत्तेजित न हों। केंद्रीय विद्युत मंत्री राजकुमार सिंह प्रस्तावित केंद्रीय विद्युत अधिनियम में सशोधन को लेकर राज्यों के बिजली मंत्रियों या मुख्यमंत्रियों की वीडियो कंफ्रेंसिंग के जरिए बैठक बुलायी थी। इसमें राज्यों का सुझाव लेना था। विद्युत अधिनियम (संशोधन) विधेयक-2020 को संसद के अगले सत्र में रखा जाना है जिस पर राज्य सरकारों की भी सहमति अपेक्षित है।

झारखंड का पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री ने विद्युत अधिनियम में संशोधन के प्रस्तावित मसौदे पर कई आपत्तियां जताई। उन्होंने कहा कि विद्युत अधिनियम के मसौदे में कमजोर और पिछड़े राज्यों के साथ बिजली उपभोक्तों के हितों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए।

डीवीसी बिजली कटौती नहीं करे, यह सुनिश्चित हो :

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सात जिलों में डीवीसी के द्वारा बिजली आपूर्ति की जाती है, लेकिन बकाया होने की बात कहकर वह बार-बार कई-कई दिनों तक घंटों- घंटों बिजली आपूर्ति बाधित कर देता है। डीवीसी द्वारा खासकर एचटी उपभोक्ता को बिजली देता है, ग्रामीण इलाकों में वह बिजली नहीं देता। उन्होंने कहा कि डीवीसी ने एकबार फिर बकाया नहीं देने पर बिजली आपूर्ति रोकने की चेतावनी दी है, जबकि वह झारखंड की जमीन, पानी और कोयले का उपयोग करता है। उन्होंने केंद्रीय विद्युत मंत्री को इस बात से भी अवगत कराया कि उनकी सरकार ने इस साल मार्च माह तक का बकाया डीवीसी को दे दिया है। जो पहले का बकाया है, वह पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल का है।

गरीबों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रतिबद्ध :

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय विद्युत मंत्री को इस बात से अवगत कराया कि झारखंड की एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे और ग्रामीण इलाके में रहती है। राज्य सरकार इनके घरों में सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए विद्युत (संशोधन) विधेयक-2020 में क्रॉस सब्सिडी के मूल्य का निर्धारण करने की शक्ति को राज्य विद्युत नियामक आयोग (एसईआरसी) के साथ बनाए रखा जाए। मुख्यमंत्री ने क्रॉस सब्सिडी इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के कार्य क्षेत्र से बाहर निकाल कर नेशनल टैरिफ पॉलिसी के माध्यम से तय करने की प्रक्रिया पर आपत्ति जताया और कहा कि इससे राज्य सरकारों की शक्तियों का हनन होगा।

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